श्याम बाबा के शीश दान करने की भूमि चुलकाना धाम
वह जगह जहाँ बाबा श्याम ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान में दिया |यह अमर बलिदान चुलकाना की पावन भूमि पर हुआ जहा पास में आज भी एक पीपल का पेड़ है जिसके पत्ते आज भी छिड़े हुए आते है, जिसे मध्ययुग में महाभारत के समय में वीर बर्बरीक ने अपने बाणों से बेधा था।
समालखा कस्बे से पांच किलोमीटर दूर चुलकाना गांव अब सिर्फ गांव न रहकर, चुलकाना धाम के नाम से प्रसिद्ध है। श्री श्याम खाटू वाले का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर चुलकाना गांव में है। जैसे ही गांव में मंदिर की स्थापना हुई और खाटू नरेश चुलकाना नरेश भी बन गए। चुलकाना धाम को कलिकाल का सर्वोत्तम तीर्थ माना गया है।
चुलकाना धाम का संबंध महाभारत से जुड़ा है। पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह नामक दैत्य की पुत्री कामकन्टकटा के साथ हुआ। इनका पुत्र बर्बरीक था। बर्बरीक को महादेव एवं विजया नामक देवी का आशीर्वाद प्राप्त था। उनकी आराधना से बर्बरीक को तीन बाण प्राप्त हुए, जिनसे वह सृष्टि तक का संहार कर सकते थे। बर्बरीक की माता को संदेह था कि पांडव महाभारत युद्ध में जीत नहीं सकते। पुत्र की वीरता को देख माता ने बर्बरीक से वचन मांगा कि तुम युद्ध तो देखने जाओ, लेकिन अगर युद्ध करना पड़ जाए तो तुम्हें हारने वाले का साथ देना है। मातृभक्त पुत्र ने माता के वचन को स्वीकार किया, इसलिए उनको हारे का सहारा भी कहा जाता है। माता की आज्ञा लेकर बर्बरीक युद्ध देखने के लिए घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। उनके घोड़े का नाम लीला था, जिससे लीला का असवार भी कहा जाता है। युद्ध में पहुंचते ही उनका विशाल रूप देखकर सैनिक डर गए।
श्री कृष्ण ने उनका परिचय जाने के बाद ही पांडवों को आने के लिए कहा। श्री कृष्ण लीला रच एक ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक के पास पंहुचे। बर्बरीक उस समय पूजा में लील थे। पूजा खत्म होने के बर्बरीक ने ब्राह्मण रूप में श्री कृष्ण को कहा कि मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं? श्री कृष्ण ने कहा कि जो मांगू क्या आप उसे देंगे। बर्बरीक ने कहा कि मरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, फिर भी आपकी दृष्टि में कुछ है तो मैं देने के लिए तैयार हूं। श्री कृष्ण ने शीश का दान मांगा। बर्बरीक ने कहा कि मैं शीश दान दूंगा, लेकिन एक ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता। आप सच बताएं कौन हो? श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए तो उन्होंने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? तब श्री कृष्ण ने कहा कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बली चाहिए। धरती पर तीन वीर महाबली हैं मैं, अर्जुन और तीसरे तुम हो, क्योंकि तुम पांडव कुल सेहो। रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। बर्बरीक ने देवी देवताओं का वंदन किया और माता को नमन कर एक ही वार में शीश को धड़ से अलग कर श्री कृष्ण को शीश दान कर दिया। श्री कृष्ण ने शीश को अपने हाथ में ले अमृत से सींचकर अमर करते हुए एक टीले पर रखवा दिया।
कहाँ है चुलकाना श्याम मंदिर
हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा कस्बे (समालखा कस्बे से पांच किलोमीटर दूर) के चुलकाना गांव में सिद्ध श्रीश्याम प्रभु के मंदिर की स्थापना हुई |
चुलकाना धाम का मेला
चुलकाना धाम में एकादशी व द्वादशी पर मेला लगता है। बाबा खाटूश्याम मंदिर में दर्शन के लिये भक्तों की बहुत ज्यादा भीड़ उमड़ जाती है। देर शाम तक दर्शन के लिये भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। हाथों में पीले रंग के झण्डे लिये भक्त बाबाश्याम के जयकारा व नारे लगाते रहते हैं। भक्तों के द्वारा बाबा की पालकी भी निकाली जाती है। हर साल फाल्गुन मास की द्वादशी को श्याम बाबा मंदिर में उनकी पालकी निकाली जाती है। विशाल मेला लगता है। चुलकाना धाम में कई राज्यों से हजारों भक्त दर्शन के लिये आते हैं। मेले के कारण एक-दो दिन पूर्व से ही भक्तों का मन्दिर में आना शुरू हो जाता है। रात में भक्तों के द्वारा बाबाश्याम का जागरण व भजन संध्या करते हैं और प्रातकाल से बाबाश्याम के दर्शन प्राप्त कर अपनी मन्नत मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त बाबा श्याम से मन्नत मांगते हैं उनकी मन्नत खाली नहीं जाती है।
Important links: